भारत ने रचा इतिहास: विश्व की पहली Ph.D. – चक्र हीलिंग में डॉ. जितेन्द्र पटवारी की अद्वितीय कृति ‘चक्रसंहिता’ ने दिया वैश्विक स्वास्थ्य को नया दृष्टिकोण
जब तनाव, भावनात्मक असंतुलन और जीवनशैली संबंधी विकार आधुनिक जीवन का हिस्सा बन चुके हैं, ऐसे समय में एक भारतीय विद्वान ने अपने व्यक्तिगत संघर्ष को एक ऐसे आंदोलन में बदल दिया है जो आज भारत की प्राचीन ज्ञान परंपरा को विश्व पटल पर प्रतिष्ठित कर रहा है। डॉ. जितेन्द्र पटवारी, जो चक्र हीलिंग में विश्व के पहले पीएचडी धारक हैं, ने ऊर्जा आधारित उपचार को समझने, अभ्यास करने और सिखाने की दिशा में एक नई क्रांति ला दी है।
उनकी पीएचडी ओपन इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी फॉर कॉम्प्लिमेंटरी मेडिसिन्स, रूस द्वारा जोरोएस्ट्रियन कॉलेज (भारत) के माध्यम से प्रदान की गई है — जो संयुक्त राष्ट्र से संबद्ध एनजीओ है। यही कारण है कि यह उपाधि वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त है। यह पूरे देश का गौरव है। यह प्रमाण है कि भारत की पारंपरिक स्वास्थ्य प्रणालियाँ केवल आध्यात्मिक साधनाएँ नहीं, बल्कि व्यवस्थित विज्ञान हैं, जो आज के युग में मानवता को शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक संतुलन की दिशा दिखा सकती हैं।
चक्रसंहिता का जन्म
उनकी अनेक उपलब्धियों में प्रमुख है उनकी पुस्तक ‘चक्रसंहिता’। यह ग्रंथ मूलतः हिंदी और गुजराती में लिखा गया है और अब अंग्रेज़ी में अनूदित हो रहा है। यह दुनिया की पहली ऐसी विस्तृत पुस्तक है जो शरीर, मन और चेतना के बीच संबंध को चक्र जागरूकता की भाषा में सरल, स्पष्ट और व्यवहारिक ढंग से प्रस्तुत करती है।
चक्रसंहिता हर व्यक्ति के लिए है — चाहे वह छात्र हो, गृहिणी, कार्यकारी या पेशेवर। यह पुस्तक 25 वर्षों के अनुभवजन्य शोध पर आधारित है और इसमें भावनात्मक अवरोधों को दूर करने, शारीरिक विकारों को संतुलित करने और आत्मिक प्रगति को विकसित करने के व्यावहारिक उपाय दिए गए हैं।
हर अध्याय में ध्यान अभ्यास, सकारात्मक वाक्य (अभिकथन), विज़ुअलाइज़ेशन, और ऊर्जा संतुलन के अनेक तरीक़े बताए गए हैं जो पाठक को आत्म-संवेदनशील बनाते हैं और उनके भीतर की लय को पुनर्स्थापित करते हैं। संक्षेप में, चक्रसंहिता जटिल चक्र-विज्ञान को दैनिक जीवन की सरल भाषा में बदल देती है।
पुस्तक से आगे — एक आंदोलन
अपनी संस्था बेनिटो लाइफ सॉल्यूशन्स प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से डॉ. जितेन्द्र ने एक मौन स्वास्थ्य क्रांति की शुरुआत की है। उनके परामर्श सत्र, हिप्नोथेरेपी और चक्र कार्यशालाओं ने भारत और विदेशों में हज़ारों लोगों के जीवन को छुआ है। उन्होंने व्यक्तियों, पेशेवरों और कॉरपोरेट टीमों को भावनात्मक स्थिरता और मानसिक स्पष्टता की दिशा में प्रेरित किया है।
उनके शब्दों में —
“चक्र हीलिंग कोई रहस्यवाद नहीं, यह आत्म-विज्ञान है।”
उनके सत्रों की खासियत यह है कि उनमें विज्ञान की स्पष्टता, जीवन की सहजता, हंसी की ऊष्मा और भारतीय दर्शन की गहराई — सबका सुंदर संगम होता है। प्रतिभागी अक्सर कहते हैं कि उनके सत्र “मुक्त करने वाले और साथ ही धरातल पर टिकाए रखने वाले अनुभव” होते हैं।
वैश्विक मान्यता, भारतीय हृदय

यद्यपि उनकी पीएचडी को संयुक्त राष्ट्र के शैक्षणिक नेटवर्क के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त है। फिर भी डॉ. जितेन्द्र अत्यंत विनम्र बने रहते हैं।
वे मुस्कुराते हुए कहते हैं —
“यह मान्यता मेरी नहीं, भारत की है। यह वही ज्ञान है जिसे दुनिया अब पहचान रही है — मैं तो बस उसका संदेशवाहक हूँ।”
उनके कार्य को कई मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स पर सराहा गया है। इन सभी ने इस बात को रेखांकित किया है कि ‘चक्रसंहिता’ भारतीय वेलनेस चिंतन की नई दिशा का प्रतिनिधित्व करती है — जहाँ पारंपरिक चक्र ज्ञान आधुनिक चिकित्सा के साथ मिलकर एक संगठित उपचार प्रणाली का रूप ले रहा है।
आगे का रास्ता
आज भी डॉ. जितेन्द्र पटवारी ऑनलाइन मेडिटेशन, कॉरपोरेट वेलनेस प्रोग्राम और व्यक्तिगत परामर्श के माध्यम से लोगों का मार्गदर्शन कर रहे हैं — ताकि आत्म-जागरूकता और मानसिक स्वास्थ्य जीवन का स्वाभाविक हिस्सा बन सके।
चक्रसंहिता के माध्यम से उन्होंने प्राचीन साधना और आधुनिक समझ के बीच एक ऐसा पुल बना दिया है, जो चक्र हीलिंग को न केवल सुलभ और संरचित बनाता है, बल्कि वैश्विक स्तर पर प्रासंगिक भी।
डॉ. जितेन्द्र पटवारी का कार्य इस सत्य का साक्षात उदाहरण है कि जब भारत की प्राचीन बुद्धि आधुनिक विज्ञान से मिलती है, तब दुनिया को समग्र स्वास्थ्य, स्पष्टता और करुणा की नई दिशा मिलती है।
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